ये उपन्यास सीहोर जिले के भोजनगर गाँव की रहने वाली मेघा परमार की जिन्दगी से जुड़ी सच्ची कहानी पर आधारित है। मेघा ने 22 मई 2019 को माउन्ट एवरेस्ट फ़तह किया था। मेघा मध्य प्रदेश की पहली महिला पर्वतारोही हैं जो एवरेस्ट पर पहुंचीं। भोपाल में रहने वालीं मेघा मध्य प्रदेश सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की ब्रांड एम्बेसडर भी रह चुकी हैं। पर्वतारोही के अलावा मेघा प्रशिक्षित स्कूबा डाइवर हैं। इन दिनों वो मोटिवेशनल स्पीकर बनकर देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में व्याख्यान देतीं हैं। पर्वतारोहण में उन्हें अनेक सम्मान और पुरस्कार भी मिले हैं। यह मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के दूर गाँव की लड़की मेघा परमार की एवरेस्ट विजय की सच्ची कथा है जिसे एक रोचक किस्से की तरह जब ब्रजेश राजपूत उपन्यास में तब्दील कर देते हैं तो वह एक सत्यकथा और बायोपिक होते हुये भी किसी परीकथा जैसी लगने लगती है। यह एक ग्रामीण लड़की के सपनों, हौसलों और संघर्ष की अविश्वसनीय सी लगती सच्ची कथा है